साथ ही पृथ्वी का घूर्णन और स्थानीय बेथीमिट्री भी इसके कारक हैं.
2.
उन्हें पृथ्वी का घूर्णन पर्वतों की दिशा आदि अनेक कारक भी अत्यधिक प्रभावित करते हैं।
3.
इस परिसंचरण की दिशा कई कारकों पर निर्भर करती है जिनमें महाद्वीपों का आकार और पृथ्वी का घूर्णन शामिल हैं।
4.
पृथ्वी का घूर्णन एक बल उत्पन्न करता है जिसे कोरिओलिस प्रभाव, कोरिओलिस त्वरण, या आम बोली में कोरिओलिस त्वरण कहते हैं.
5.
इसका मतलब यह है किपृथ्वी का भीतरी भाग एक विशाल प्राकृतिक जनरेटर या विद्यु उत्पादक यंत्र हैजो एक यांत्रिक ऊर्जा (पृथ्वी का घूर्णन या घुमाव और तरल केन्द्र की हरकत) कोनिरन्तर विद्युत ऊर्जा में बदल रहा है.
6.
पृथ्वी का घूर्णन इस प्रणाली के चक्रण को प्रेरित करता है, और इस प्रभाव को कोरिओलिस प्रभाव के रूप में जाना जाता है, जो इसे चक्रवात का लक्षण देता है और तूफान की दिशा को प्रभावित करता है.
7.
पृथ्वी का घूर्णन इस प्रणाली के चक्रण को प्रेरित करता है, और इस प्रभाव को कोरिओलिस प्रभाव के रूप में जाना जाता है, जो इसे चक्रवात का लक्षण देता है और तूफान की दिशा को प्रभावित करता है.[20][21]
8.
पृथ्वी का घूर्णन इस प्रणाली के चक्रण को प्रेरित करता है, और इस प्रभाव को कोरिओलिस प्रभाव के रूप में जाना जाता है, जो इसे चक्रवात का लक्षण देता है और तूफान की दिशा को प्रभावित करता है.
9.
और उसके घूमने का वेग चन्द्र के पृथ्वी के परिक्रमण वेग से कहीं अधिक होता है, अत: समुद्र का जो हिस्सा चन्द्र के ठीक सामने आता है वह ऊपर चढ़ता है और तुरंत वह चढ़ा हुआ जल चन्द्र से आगे चला जाता है क्योंकि पृथ्वी का घूर्णन वेग चन्द्र के परिक्रमन वेग से कहीं अधिक है।